BA Semester-3 Defence and Strategic Studies - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2648
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

अध्याय - 12

राष्ट्रीय सुरक्षा में विज्ञान एवं तकनीकी की प्रासंगिकता

(Relevence of Science and Technology in National Security)

 

प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।

अथवा
"राष्ट्रीय सुरक्षा की सुदृढ़ता के लिये व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।' विवेचना कीजिए।
अथवा
"किसी राष्ट्र की राष्ट्रीय प्रतिरक्षा उसके वैज्ञानिक, तकनीकी तथा औद्योगिक विकास पर निर्भर करती है।' विवेचना कीजिए।
अथवा
"विज्ञान एवं तकनीकी ने राष्ट्रीय शक्ति के स्वरूप एवं राष्ट्रों के मध्य सम्बन्धों को पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया है।' विवेचना कीजिए।
अथवा
क्या वर्तमान समय में बढ़ती विज्ञान एवं तकनीकी ने भारत की शक्ति के स्वरूप एवं राष्ट्रों के बीच रिश्तों को परिवर्तित किया है? समीक्षा कीजिए।

उत्तर -

किसी राष्ट्र की रक्षा शक्ति का अनुमान उसके वैज्ञानिकी अविष्कारों, तकनीकी विकास कार्यों और औद्योगिक प्रगति से लगाया जा सकता है। विश्व के सभी विकसित तथा विकासशील राष्ट्रों ने यह स्वीकारा है कि आधुनिक तकनीकी के सफलतम प्रयोग से आर्थिक एवं सामाजिक चुनौतियों का सामना किया जा सकता है तथा राष्ट्र की सुरक्षा प्रभावी ढंग से की जा सकती है। प्राविधिक दृष्टि से विचार करके देखा जाये तो तकनीकी (Technology) का प्रादुर्भाव विज्ञान से हुआ है और विज्ञान ही वह शुद्ध सैद्धान्तिक ज्ञान प्रदान करता है, जिसके अभाव में हम तकनीकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

भारत में विज्ञान एवं तकनीकी अवस्था
(Status of Science and Technology in India)

स्वतन्त्र भारत में पं. जवाहर लाल नेहरू ने औद्योगिक, विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र को प्रगति के शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया। वस्तुतः पं. नेहरू ही स्वाधीन भारत में वैज्ञानिक क्रान्ति के अग्रदूत थे। उन्होंनें देश में विज्ञान की अलख जगाईं, उससे जो साइंटिफिक टैम्पो बनाकर वह निरन्तर आगे बढ़ता ही गया और दो दशकों के अन्दर ही विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में भारत की अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर खासी धाक जम गयी।

एक तरफ तो CSIR ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, तकनीकी संस्थानों में वैज्ञानिक अनुसंधान का वातावरण उत्पन्न करने की चेष्टा की तो दूसरी तरफ स्वयं पहल करके देश के विभिन्न अंचलों में राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की स्थापना की, जैसे- (i) भौतिक एवं भू वैज्ञानिक प्रयोगशालायें, (ii) रासायनिक संस्थान, (iii) जीव वैज्ञानिक संस्थान, (iv) इन्जीनियरी संस्थान, (v) सूचना विभाग |

भारतीय सैनिक तकनीकी विकास - युद्ध में सफलता दिलाने वाली उच्च तकनीकी में आधुनिक हथियारों के समावेश के कारण युद्ध के नियोजन एवं उसके संचालन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। खाड़ी युद्ध तथा अमेरिका का अफगानिस्तान के खिलाफ सशस्त्र अभियान इसका ताजा उदाहरण है। भारत अन्तरिक्ष संचार क्षेत्र में भी प्रवेश कर चुका है। सामरिक महत्व की संचार सुविधाएँ प्रदान करने के लिए भारतीय सेनाओं में उपग्रह, टर्मिनलों का उपयोग हो रहा है।

15 जून 1993 को अर्जुन टैंक को भारतीय थल सेना में शामिल कर लिया गया है। वायु सेना में 'जगुआर विमान के और स्क्वैड्रन जोड़े गये हैं। मिग 29 भी नभ सेना में शामिल किया जा चुका है। फ्रांस के मिराज 2000 विमानों को भी भारतीय नभ सेना में शामिल कर लिया गया है। इसके अतिरिक्त 34 टन वजन तथा दो सीटों वाले सुखोई-30 विमान जोकि रूस द्वारा निर्मित किया गया है, को भी भारतीय नभ सेना में शामिल कर लिया गया है। इस विमान के भारतीय वायु सेना में शामिल होने से हमारी शक्ति अत्यधिक बढ़ गई है। 1995 ई. में भारत के रक्षा वैज्ञानिकों ने और भी विकसित हल्के लड़ाकू विमान का निर्माण करके एक कीर्तिमान स्थापित किया है।

नौसेना के विमान वाहक जहाज I. N. S विक्रान्त को और भी आधुनिक कर दिया गया है। 30 सितम्बर 1989 ई. को पहली स्वदेशी पनडुब्बी 'शालकी' को भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया। 23 अगस्त, 1989 ई. को I. N. S. खुखरी को नौ सेना में शामिल कर लिया गया। यह पहला स्वदेश निर्मित युद्धपोत है। इतना ही नहीं विश्व के सबसे तेज गति से चलने वाले मिसाइल पोतों में से एक I. N. S. प्रहार को 1 मार्च 1997 ई. को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। यह रूस की सहायता से निर्मित छठा मिसाइल पोत है। 13 फरवरी 1997 ई. को जल-थल हमलावर युद्धपोत 'घड़ियाल' को भी भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है। इस पर अर्जुन टैंक तथा एक हेलीकॉप्टर रखा जा सकता है।

वर्तमान समय में विज्ञान एवं तकनीक का राष्ट्रीय शक्ति एवं अन्य राष्ट्रों के साथ सम्बन्धों पर अत्यन्त गहरा प्रभाव पड़ा है। जहाँ एक ओर विज्ञान एवं तकनीक ने विश्व का भू-मण्डलीकरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है वहीं दूसरी तरफ विश्व के सभी राष्ट्रों के सम्बन्धों को भी सुदृढ़ किया है। तकनीक के माध्यम से सभी राष्ट्र किसी न किसी रूप से एक-दूसरे से जुड़ गए हैं एवं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे के साथ आर्थिक रूप से जुड़ाव भी पैदा हुआ है। आर्नोल्ड टायनबी का मत है कि राजनीतिक समुदाय का आकार संचार साधनों की प्रगति के अनुपात में विकसित होता है। प्रारम्भ में लोगों के पास आवागमन के साधन नहीं थे। धीरे-धीरे साधनों का विकास प्रारम्भ हुआ और आवागमन के साधनों के विकास के साथ-साथ लोग अधिकाधिक क्षेत्रों पर नियन्त्रण करने के लिए प्रेरित हुए। जलपोत और वायुसेना के आविष्कार ने अंतर्महाद्वीपीय साम्राज्यों की स्थापना के लिए प्रेरित किया जो समुद्र पहले दो देशों के मध्य सम्पर्क बढ़ाने में बाधक थे, आज वे सम्पर्क बनाने के साधन बन गये हैं। आधुनिक संचार साधनो ने भौगोलिक दूरी को महत्वहीन कर दिया।

तकनीक और राष्ट्रों की शक्ति - प्रारम्भ में शक्तिशाली राष्ट्र वे होते थे जिनके पास अधिक सैनिक, घोड़े, रथ, हाथी आदि होते थे। धीरे-धीरे बारूद का आविष्कार हुआ तथा बन्दूक और तोपों ने परम्परागत युद्ध के हथियारों का स्थान ले लिया। समुद्री संचार व्यवस्था का विकास और वायु शक्ति के विकास ने युद्धों का स्वरूप ही बदल दिया। तकनीकी विकास ने अणु शक्ति का विकास कर जहाँ एक ओर नये शस्त्रों को जन्म दिया वहीं दूसरी ओर इन्होंने सम्पूर्ण विश्व के विनाश का रास्ता खोल दिया है। आज संचार तकनीक और अंतरिक्ष तकनीक को बढ़ावा मिला है जिससे अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध प्रभावित हुए हैं।

तकनीकी आविष्कार के साथ जहाँ एक ओर राष्ट्रीय शक्ति में वृद्धि हुई है वहीं दूसरी ओर युद्ध तकनीक ने युद्ध का नक्शा ही बदल दिया है। 1991 के खाड़ी युद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाली बहुराष्ट्रीय सेनाओं की सफलता का मुख्य कारण ईराक की तुलना में उनकी तकनीकी श्रेष्ठता थी। तकनीकी आविष्कारों ने जैविक और रासायनिक हथियारो को जन्म दिया है। हेरोल्ड और स्प्राउट (Harold and Sprout) के अनुसार बोटुलिनस (Botulinas ) नामक विषैले पदार्थ की केवल साढ़े आठ सौ औंस की मात्रा इस धरती पर बसने वाली सम्पूर्ण मानव जाति को नष्ट कर सकती है।

स्प्राउट के अनुसार कोई राष्ट्र तकनीकी विज्ञान की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनकर अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता को अधिक सार्थक और प्रभावशाली बना सकता है तथा स्वतन्त्र निर्णय शक्ति का विकास कर सकता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  2. प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  3. प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
  5. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
  7. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
  9. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
  11. प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
  12. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
  13. प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  14. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
  15. प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
  16. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
  17. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
  18. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
  19. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
  20. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  22. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
  23. प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
  24. प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
  25. प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  26. प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  27. प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
  28. प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
  29. प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
  32. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
  33. प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  34. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
  36. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  37. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
  38. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
  39. प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
  40. प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
  41. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
  44. प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  45. प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
  46. प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
  48. प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
  49. प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
  50. प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
  51. प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
  52. प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
  55. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
  57. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
  58. प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
  59. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
  60. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
  62. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
  64. प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
  65. प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
  68. प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
  69. प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
  70. प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
  71. प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  72. प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
  73. प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
  75. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  76. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  77. प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
  78. प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
  81. प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
  82. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
  85. प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
  86. प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
  88. प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
  89. प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
  90. प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  91. प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
  92. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
  93. प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  94. प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
  95. प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
  96. प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
  97. प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  99. प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए

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